इस्लाम में ज़कात

Ahmet Sukker

इस्लाम में ज़कात

ज़कात इस्लाम की मूल इबादतों में से एक है, जिसका अर्थ है “शुद्धि” और “वृद्धि”।

मुसलमान अपनी संपत्ति का एक भाग जरूरतमंदों को देते हैं, जिससे वे आत्मिक और सामाजिक रूप से शुद्ध होते हैं।

यह केवल धन देने का कार्य नहीं है, बल्कि यह साझा करने, न्याय और एकता की भावना का प्रतीक है।

जो व्यक्ति ज़कात देता है, वह अपने धन को अल्लाह के रास्ते में खर्च करता है और समाज में संतुलन स्थापित करता है।

ज़कात आत्मा की शुद्धि और स्वार्थ से मुक्ति का प्रतीक है।

भले ही यह एक छोटी भौतिक बलिदान लगे, लेकिन यह दिल में बड़ी बदलाव लाता है।

अंततः, ज़कात व्यक्ति और समाज दोनों को सशक्त बनाती है और इसे इस्लाम में आत्मा और समाज को शुद्ध करने का साधन माना गया है।

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