इस्लाम में कलिमा-ए-शहादत

इस्लाम में कलिमा-ए-शहादत

कलिमा-ए-शहादत इस्लाम का द्वार खोलने वाली कुंजी है। मुसलमान बनने का पहला कदम है दिल से यह बात कहना:
“अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दहु व रसूलुहु।”

इसका मतलब है:
“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई ईश्वर नहीं है, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं।”

यह केवल एक विश्वास नहीं है, बल्कि अल्लाह की बन्दगी, शांति और सत्य की शुरुआत है।
इस्लाम एक ही ईश्वर में विश्वास करने, न्याय के साथ जीने और सभी इंसानों के प्रति दया दिखाने की शिक्षा देता है।

जो कोई दिल से इस कथन को कहता है, वह अल्लाह की रहमत और इस्लाम की भाईचारे में कदम रखता है।
यदि आप सच्चाई की तलाश में हैं, तो यह शब्द आपके लिए एक नया आरम्भ हो सकता है।

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